Responsive Ads Here

मंगलवार, जुलाई 02, 2019

सपनों को कंट्रोल करना संभव है। (3)


दुनिया में हर इंसान सोते वक्त कभी न कभी सपने जरूर देखता है। ज्यादातर तो नींद में देखे गए सपनों को जागने पर भूल जाते हैं। मगर किसी ने भी सपने में भी ये नहीं सोचा होगा कि सपनों को भी नियंत्रित किया जा सकता है! आज के समय में वैज्ञानिक इंसानों के मस्तिष्क पर रोज नए प्रयोग कर रहे हैं, विचारों को पढ़ने का रास्ता तो विज्ञान ने पहले ही खोल दिया है,और अब इंसानों के सपनों से खेला जा रहा है। सपनों को नियंत्रित करने की भी कई तरकीबें निकाल ली गयी हैं, इसके अलावा सपनों को रिकॉर्ड करने की भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। अगर आपने पहली पोस्ट "क्या विज्ञान द्वारा मस्तिष्क नियंत्रण संभव है? (1)" पढ़ी है तो आपने देखा होगा कि श्रव्य व अन्य फ्रीक्वेंसी माध्यमों द्वारा नींद लाने तथा अवचेतन में श्रव्य व दृश्य उत्पन्न करने के कई पेटेंट्स पहले ही हो चुके हैं।

सपनों के नियंत्रण के बारे में जानने से पहले आपको नींद और सपनों की प्रक्रिया के बारे में जानना होगा।

Sleep Cycle and Lucid Dreams

मनुष्य को चार चरणों में नींद आती है, जिसे "Sleep Cycle" कहते हैं। जो कि इस प्रकार है:-

पहला चरण :- इस चरण में नींद के झोंके आते हैं और शरीर को झटके लगते हैं।

दूसरा चरण :- इस चरण में नींद की शुरुआत होती है। इसमें नींद आसानी से नहीं खुलती और आंखें धीरे-धीरे हिलती हैं। मस्तिष्क तरंगें आहिस्ता-आहिस्ता कम होती है पर बीच-बीच में अचानक गतिविधि होती है  जिसे कि "Sleep Spindles" कहते हैं और जो नींद की प्रक्रिया के "K-Complex" से घुली-मिली होती है। "Sleep Spindle" और "K-Complex" मस्तिष्क को नींद से जगाने से बचाती है।

तीसरा चरण :- ये चरण सबसे आरामदायक व गहरी नींद होती है। मस्तिष्क में "Delta or Slow Waves" उत्पन्न होती है। जागना या जगाना प्रायः कठिन होता है और ऐसे में जाग पाना यदा-कदा ही होता है।

चौथा चरण :- इस चरण को "REM Sleep" अर्थात रैपिड आई मूवमेंट की अवस्था कहते हैं जिसमें आखों का हिलना-ढुलना तेज होता है और मस्तिष्क तरंगें दूसरे और तीसरे चरण से अधिक तीव्र होती है. REM Sleep के चरण में जागना अपेक्षाकृत आसान होता है मगर जागने पर सर भारी और ज्यादा सोने का एहसास होता है। REM Sleep में एक खास बात होती है कि इसमें कुछ समय के लिए व्यक्ति का पूरा शरीर लकवाग्रस्त सा हो जाता है ताकि उसे चोट न लगे। इस चरण में सांसे तेज, अनियमित और हल्का होती हैं और आंखें बहुत तेजी से हिलती हैं। मस्तिष्क तरंगें व्यक्ति के जागने की अवस्था के बराबर पहुंच जाती है. दिल की धड़कनें तेज हो जाती है, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और शरीर अपने तापमान को उस समय नियंत्रित नहीं कर पाता है। इसी अवस्था में "Lucid Dreams" दिखते हैं अर्थात वह सपना जिसमें इंसान को नींद में भी एहसास होता है कि वह सपना देख रहा है और ऐसे सपने पर उस व्यक्ति का कुछ हद तक नियंत्रण होता है।

नींद के एक चक्र को पूरा होने में अनुमानतः 90 से 110 मिनट लगता है और इसमें हर चरण करीब 5 से 15 मिनट तक हो सकता है तथा ये पहले चरण से लेकर REM Sleep तक जाता है और फिर से पहला चरण शुरू हो जाता है। शुरुआत के नींद चक्र में REM Sleep अपेक्षाकृत कम होता है मगर बाद में REM Sleep लम्बी हो जाती है और गहरी नींद कम हो जाती है। Lucid Dream नींद के 4-5 चक्र के बाद आता है यानि लगभग 6 घंटे सोने के बाद तथा यह लगभग 1 घंटे तक भी हो सकता है।

Controlling Lucid Dreams (लुसिड सपनों पर नियंत्रण)

1. Natural Hack (प्राकृतिक हैक)

विशेषज्ञों ने लुसिड सपनों को देखने के कुछ तरीके निकले हैं जिनमें से सबसे दमदार तरीका है कि नींद के बीच में उठ जाना और 10 से 60 मिनट के अंतराल के बाद दोबारा सो जाना। उदहारण के लिए अगर कोई 8 घंटे सोता है तो वो 5-6 घंटे बाद की अलार्म लगाकर सो जाये और अलार्म बजने पर कुछ समय के लिए जागता रहे। उसके बाद वो दोबारा सो जाए तो उसके लुसिड सपने देखने के प्रतिशत बहुत बढ़ जाते हैं। निम्नलिखित लिंक्स को क्लिक करके आप ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं:-






2. Lucid Dreams with Drugs (दवा द्वारा लुसिड सपने)

लुसिड सपनों के लिए जिस दवा को इस्तेमाल में लाने की बात की जा रही है वो दवा अल्जाइमर रोग से पीड़ित व्यक्तियों के इलाज के लिए प्रयोग होता है। एक प्रश्न मन में जरूर उठता है कि क्या सिर्फ सपने देखने के लिए एक स्वस्थ व्यक्ति को ऐसी दवा खानी चाहिए? ये तो एक प्रकार से नशा करने के समान है।




3. Giving minute Current Shocks or using Gamma Waves (सूक्ष्म विद्युत या गामा वेव्स का प्रयोग)

वैज्ञानिकों ने सोते हुए व्यक्ति के मस्तिष्क पर सूक्ष्म विद्युत के झटके या गामा वेव्स का इस्तेमाल  करने का तरीका खोजा है जिससे कि लुसिड सपने जागृत हो सके। इस तरीके में विद्युत और गामा वेव्स का इस्तेमाल 40 hertz (40 साईकल प्रति सेकंड) के आस-पास होता है। गामा वेव्स मस्तिष्क तरंगों की एक अवस्था होती है जिसमें कि न्यूरॉन्स की गतिविधियां अत्याधिक तेज होती है। इसी वेव्स के नाप यानि 40 hertz के आस-पास बाहरी विद्युत या गामा वेव्स के झटके से लुसिड सपने सक्रिय किये जाते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक्स को क्लिक कीजिए :-








4. Gadgets and Apps for Lucid Dreams (गैजेट्स और एप्प द्वारा लुसिड सपने)

अब तो ऐसे गैजेट्स और एप्प बनाए जा रहे हैं जो न सिर्फ मस्तिष्क और आंखों की monitoring (निगरानी) करके तय करता है कि जब REM Sleep शुरू हो और सोए हुए व्यक्ति को बिना जगाए ही मस्तिष्क में संकेत भेज कर एहसास दिला देता है कि लुसिड सपने शुरू हो गए हैं। कुछ गैजेट्स दो-तीन विकल्प देकर चुने गए वातावरण अनुसार लुसिड सपने दिखने का वादा करते हैं। तो कुछ सही समय पर सूक्ष्म विद्युत से लुसिड सपने सक्रिय करते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक्स को क्लिक कीजिए :-






5.  Recording Dreams (सपनों को रिकॉर्ड करना)

अब तो वैज्ञानिक इस कोशिश में हैं कि सपनों की रिकॉर्डिंग की जा सके तथा इस विषय पर काफी रिसर्च हो रहा है।  कुछ का तो कहना है कि ऐसा करना बहुत जल्द संभव है क्योंकि मस्तिष्क के विचारों को पढ़ना अब यथार्त रूप ले चुका है। साथ ही इंसान का मस्तिष्क चित्रों और फिल्मों को  जैसे देखता है उसे रिकॉर्ड करने के तरीके भी खोजे जा चुके हैं। ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक्स को दो बार क्लिक करके उस साइट्स में जा कर आर्टिकल्स को पढ़े :-












उपरोक्त आर्टिकल्स व न्यूज़ को देख कर एक बात तो स्पष्ट है कि सपनों पर लगातार रिसर्च तो हो रहे हैं मगर सपनों को नियंत्रित करने के दुरुपयोग पर ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है। हॉलीवुड के नायक लिओनार्डो डीकैप्रिओ की फिल्म "Inception" में ऐसा दिखाया गया है कि नायक और उसके साथी लक्षित व्यक्ति के सपनों में घुसते हैं और महत्वपूर्ण कॉर्पोरेट जानकारियां चुराते हैं। इस फिल्म में तो जानकारी चुराने का बहुत ही जटिल तरीका दिखाया गया है जबकि हकीकत में जिस प्रकार से वैज्ञानिक मस्तिष्क और सपनों को पढ़ने-समझने लगे हैं, उससे तो लगता है कि इन खोजों का दुरुपयोग होना बहुत आसान हो गया है। जिस प्रकार Inception फिल्म में नायक लक्षित व्यक्ति के सपनों में घुसकर उस व्यक्ति के मन में ख्यालों के बीज बोता है उसी प्रकार असली जीवन में भी क्या ये सब घटित होगा ये तो समय ही बताएगा। 

आप सब से प्रार्थना है कि उपरोक्त लिंक्स के तथ्यों को इंटरनेट पर जरूर सर्च करके देख लीजिए। सब जानकारी सही पाने पर ही आप इस पोस्ट को लाइक व शेयर कीजिए। 

धन्यवाद।    

1 टिप्पणी:

Please comment if you like the post.