विज्ञान जिस तेजी से तरक्की कर रहा है वो हैरान-परेशान करने वाला है। अगर आपने इस ब्लॉग के लेख "क्या विज्ञान द्वारा मस्तिष्क नियंत्रण संभव है? (1)" को पढ़ा है तो आपने एक पेटेंट पर जरूर ध्यान दिया होगा जो कि इस प्रकार है:-
लक्षित व्यक्ति (Targeted Individual)
टिन/एल्युमीनियम फॉयल की टोपी (Tin/Aluminium Foil Hat)
अल्ट्रासाउंड और मस्तिष्क के विचार (Ultrasound and Mind Thoughts)
2. Mind-reading tech is here (and more useful than you think!)
3. ‘Mind reading’ technology poses ethical questions
4. 'Mind-Reading' AI Turns Thoughts Into Spoken Words
5. Using mind-reading technology to let the world hear nonverbal people’s thoughts
6. Mind reading from brain recordings? 'Neural fingerprints' of memory associations decoded
7. Spooky mind reading technology
8. Mind-reading AI isn’t sci-fi anymore… and it’s just getting started
9. The Age of Mind Reading
10. Scientists explore possibilities of mind reading
11. This mind-reading AI can see what you're thinking - and draw a picture of it
2. BEGLEY: MIND READING IS NOW POSSIBLE
3. This ‘mind-reading’ algorithm can decode the pictures in your head
4. Scientists map images from human brain for first time
5. In the blink of an eye
6. Scientists use brain imaging to reveal the movies in our mind
7. Michio Kaku on Reading Minds, Recording Dreams, and Brain Imaging
8. Brain scan research 'reconstructs images from human minds'
9. Vision Reconstruction
10. Mind-reading devices can now access your thoughts and dreams using AI
2. Sprinkling of neural dust opens door to electroceuticals
3. Ultrasonic wireless ‘neural dust’ sensors monitor nerves, muscles in real time
2. Florida Man Becomes First Person to Live With Advanced Mind-Controlled Robotic Arm
3. A Brain-Computer Interface That Works Wirelessly
2. Microsoft Patents Mind Reading Method
3. These 7 Startups Can Read Your Mind (Literally)
4. Motorola patents e-tattoo that can read your thoughts by listening to unvocalized words in your throat
आपके जानकारी हेतु बताना चाहता हूं कि अगले लेख का विषय होगा "सपनों को कंट्रोल करना संभव है"।
US6011991A - Communication System and Method including Brain Wave Analysis and/or use of Brain Activity (उपग्रह या दूर से मानव मस्तिष्क गतिविधियों पर निगरानी रखना एवं उसके विचारों के शब्दों को ज्ञात करना)
इस पेटेंट से इतना तो ज्ञात होता है कि उपग्रह से मानव मस्तिष्क तरंगों की निगरानी व विश्लेषण की जा सकने वाली पेटेंट पहले ही हो चुकी है। पर क्या सचमुच विचारों को पढ़ना संभव हो चुका है? इस बारे में जानने से पहले आपको लक्षित व्यक्तियों और उनकी टिन/एल्युमीनियम की टोपी के बारे में थोड़ी सी जानकारी देना जरूरी है।
पूरी दुनिया में, हर देश में लक्षित व्यक्ति हैं. ये खुद को पीड़ित बताते हैं और कहते हैं कि इन्हें अज्ञात गिरोह (Gang Stalkers) द्वारा परेशान किया जाता है व न दिखने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन आदि से इनके शरीर को निशाना बनाया जाता है। साथ ही ये लोग ये भी दावा करते हैं कि इन पर हर वक्त (24 X 7 X 365) निगरानी रखी जाती है तथा इनके मस्तिष्क में आवाजें व विचार डाले जाते हैं. अफसोस की बात है की ऐसे लोगों के ऊपर विश्वास नहीं किया जाता है और इन्हें सरफिरा कहा जाता है। खैर, लक्षित व्यक्तियों में एक चीज़ बहुत प्रचलित है और वो है टिन या एल्युमीनियम की टोपी।
टारगेटेड व्यक्ति अपने सर को बचाने के लिए ज्यादातर एल्युमीनियम फॉयल से बनी टोपी पहनते हैं क्योंकि ये फॉयल हर जगह आसानी से मिलती है और यह होटलों व घरों में रोटी को पैक करने के काम आता है. यह तो पता नहीं कि एल्युमीनियम की टोपी का इस्तेमाल किसने शुरू किया मगर लक्षित व्यक्ति इस तरह की टोपी का इस्तेमाल अपने सर को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों (रेडियो व माइक्रोवेव फ्रीक्वेंसी) से खुद को बचाने हेतु करते हैं। इस टोपी का इस्तेमाल लक्षित व्यक्ति फैराडे पिंजरे (Faraday Cage) के रूप में प्रयोग करते हैं। फैराडे पिंजरा असल में चारों ओर से घिरा एक पात्र या आवरण को कहते हैं जो कि बाहर के विद्युत क्षेत्र को अंदर आने से रोकता है तथा अंदर के विद्युत क्षेत्र को बाहर नहीं जाने देता है. लेकिन फैराडे पिंजरे का सिद्धांत हर स्थिति में काम नहीं करता है। ऐसे में एल्युमीनियम फॉयल की टोपी न तो सर को पूरी तरह से ढक पाती है और न ही चेहरे को। इसके अलावा भी लक्षित व्यक्ति एक और गलती करते हैं कि वो विज्ञान को सिर्फ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन तक ही सीमित करके देखते हैं।
विज्ञान ने अल्ट्रासाउंड से मस्तिष्क विचारों को पढ़ने का तरीका भी प्राप्त कर लिया है। अगर आपको इस बात पर यकीन नहीं हो रहा है तो निम्नलिखित दिए गए लिंक को क्लिक करके उस साइट में जाकर आप न्यूज़ पढ़िए:-
1. Ultrasound for Mind Reading
2. Ultrasound for the brain
3. Mind control using sound waves? We ask a scientist how it works
4. Controlling Memories with Ultrasound
6. We know what you're thinking. We read your brain
7. Study shows how low-intensity ultrasonic waves can modulate decision-making process in the brain
8. 'Sonogenetics' allows brain cells to be controlled by sound waves
9. Targeting the Brain with Sound Waves
10. Rise of the mind-reading machines
2. Ultrasound for the brain
3. Mind control using sound waves? We ask a scientist how it works
4. Controlling Memories with Ultrasound
6. We know what you're thinking. We read your brain
7. Study shows how low-intensity ultrasonic waves can modulate decision-making process in the brain
8. 'Sonogenetics' allows brain cells to be controlled by sound waves
9. Targeting the Brain with Sound Waves
10. Rise of the mind-reading machines
अल्ट्रासाउंड के अलावा भी वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), न्यूरल इम्प्लांट से भी विचारों को पढ़ना संभव कर दिया है। इनमें से कुछ खबरों के लिंक्स निम्नलिखित दिए गए हैं जिन्हें आप क्लिक करके उस साइट में जाकर पढ़ सकते हैं :-
1. 'Exhilarating' implant turns thoughts to speech2. Mind-reading tech is here (and more useful than you think!)
3. ‘Mind reading’ technology poses ethical questions
4. 'Mind-Reading' AI Turns Thoughts Into Spoken Words
5. Using mind-reading technology to let the world hear nonverbal people’s thoughts
6. Mind reading from brain recordings? 'Neural fingerprints' of memory associations decoded
7. Spooky mind reading technology
8. Mind-reading AI isn’t sci-fi anymore… and it’s just getting started
9. The Age of Mind Reading
10. Scientists explore possibilities of mind reading
11. This mind-reading AI can see what you're thinking - and draw a picture of it
यहां तक कि व्यक्ति विचारों में क्या तस्वीर देख रहा है या कोई फिल्म देख रहा है तो उसे भी मस्तिष्क में देख पाने का रास्ता विज्ञान ने खोल दिया है। निम्नलिखित कुछ ख़बरों की तथा 3 youtube की लिंक्स हैं जिसे क्लिक करके आप उस वेबसाइट पर या यूट्यूब में जाकर स्वयं पढ़-देख सकते हैं।
1. Mind-reading technology is 'threat to HUMANITY', expert warns2. BEGLEY: MIND READING IS NOW POSSIBLE
3. This ‘mind-reading’ algorithm can decode the pictures in your head
4. Scientists map images from human brain for first time
5. In the blink of an eye
6. Scientists use brain imaging to reveal the movies in our mind
7. Michio Kaku on Reading Minds, Recording Dreams, and Brain Imaging
8. Brain scan research 'reconstructs images from human minds'
9. Vision Reconstruction
10. Mind-reading devices can now access your thoughts and dreams using AI
अभी न्यूरल डस्ट (neural dust) पर काम चल रहा है जो कि सिर्फ 3 मिलीमीटर लम्बा, 1मिलीमीटर ऊंचा और 4/5 मिलीमीटर मोटा नर्व सेंसर है जो कि पूरी तरह वायरलेस और बैटरी रहित है। इसका इस्तेमाल शरीर के अंदर डालकर नर्व और मसल्स का अध्ययन, नियंत्रण और निगरानी के लिए होगा। इसके अलावा इसे न्यूरॉन एक्टिविटी की निगरानी हेतु इस्तेमाल में लाया जाएगा। विकिपीडिया की माने तो आगे चलकर चिकित्सा हेतु मस्तिष्क में हजारों न्यूरल डस्ट डाले जाएंगे। न्यूरल डस्ट को एक प्रकार का ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस भी कहा जा सकता है। निम्नलिखित कुछ साइट्स के आर्टिकल्स के लिंक दिए जा रहे हैं जिसे क्लिक करके आप उन साइट्स में जाकर और ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
1. Neural dust is getting ready for your brain…2. Sprinkling of neural dust opens door to electroceuticals
3. Ultrasonic wireless ‘neural dust’ sensors monitor nerves, muscles in real time
विचारों को पढ़ने और देखने के अलावा भी विज्ञान में अन्य बहुत से प्रयोग हो रहे हैं। वैज्ञानिकों ने सिंथेटिक टेलीपैथी को भी संभव कर लिया है। यह प्रयोग दो देश भारत और फ्रांस के दो व्यक्तियों के ऊपर हुआ, जिसमें एक व्यक्ति के मस्तिष्क सन्देश को दूसरे व्यक्ति के मस्तिष्क तक इंटरनेट के माध्यम से पहुंचाया गया था, जबकि दोनों व्यक्ति हजारों मील दूर बैठे थे। इसके अलावा फ्लोरिडा के जॉनी मथेनी नामक व्यक्ति को कृत्रिम हाथ लगाया गया जोकि मस्तिष्क संकेतों से काम करेगा। इसके अलावा 2015 में चीन मस्तिष्क संकेतों से चलने वाली कार बना चुका है। ज्यादा जानकारी के लिए निम्लिखित लिंक्स को क्लिक कीजिए :-
1. Brain-to-brain 'telepathic' communication achieved for first time2. Florida Man Becomes First Person to Live With Advanced Mind-Controlled Robotic Arm
3. A Brain-Computer Interface That Works Wirelessly
उपरोक्त प्रयोगों के अलावा बड़ी कम्पनियां जैसे माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, एप्पल आदि भी माइंड रीडिंग के क्षेत्र में कुछ न कुछ कार्य / पेटेंट्स कर रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने तो अपने माइक्रोसॉफ्ट स्टोर की वेबसाइट में एक माइंड रीडर एप्प भी लॉन्च कर दिया है। निम्नलिखित लिंक्स को क्लिक करके आप उन साइट्स पर जाकर ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
1. Facebook Wants to Read Your Mind. Decides to Build a Mind-Reading Machine2. Microsoft Patents Mind Reading Method
3. These 7 Startups Can Read Your Mind (Literally)
4. Motorola patents e-tattoo that can read your thoughts by listening to unvocalized words in your throat
उपरोक्त लिंक्स की वेबसाइट में जाकर जब आप ज्यादा जानकारी लेंगे तो एक बात पर जरूर गौर करना कि अभी तक सभी जगह यही कहा जा रहा है कि कुछ न कुछ उपकरण जैसे चिप, इलेक्ट्रोड आदि सर पर लगाकर ही माइंड रीडिंग हो सकती है। जबकि मेरे अपने विचार से तो वायरलेस तरीके से भी माइंड रीडिंग संभव है। ऐसा मानने के कई कारण है। मोबाइल का उपयोग वायरलेस तरीके से होता है जिसमें लिखित डाटा, वीडियो, वायरलेस बातचीत, लाइव बातचीत आदि सब-कुछ संभव है और ये सब क्षण भर में उपग्रह से सिग्नल पाकर हो जाता है। इसके अलावा वाईफाई, ब्लूटूथ जैसी तकनीक भी पहले से ही मौजूद है। ये भी आपको पता होगा कि ध्वनि को विद्युत संकेत में तब्दील करना और इसका उलटा क्रम संभव है (जैसे की फोन पर बात करना) । शायद इसीलिए तो अन्य तरीकों के अलावा अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल भी माइंड रीडिंग के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा आज के समय में टेक्नोलॉजी इतनी तरक्की कर चुकी है कि टेक्नोलॉजी ही टेक्नोलॉजी का आविष्कार कर रही है। तो ऐसे में ये बात हजम नहीं होती कि विचारों को वायरलेस तरीके से नहीं पढ़ा जा सकता। वैसे भी 1960 से इस माइंड कंट्रोल पर कार्य हो रहा है और लोगों से इस तरह की जानकारी सांझा नहीं की गयी थी तो माइंड रीडिंग के लिए भी कई जानकारी छिपाई गयी हो सकती है। लेकिन...................... ये सिर्फ मेरी निजी सोच है।
आपके जानकारी हेतु बताना चाहता हूं कि अगले लेख का विषय होगा "सपनों को कंट्रोल करना संभव है"।
एक बात का जरूर ध्यान दीजिए की उपरोक्त जानकारी पूरी नहीं है, हो भी नहीं सकती। एक साथ इतना कुछ हो रहा है की अगर आप भी इंटरनेट पर इस तरह के विषयों को खोजेंगे, जो कि आपको करना भी चाहिए, तो बहुत सी नयी जानकारी मिलेगी। अंत में आपसे एक निवेदन करना चाहता हूं कि उपरोक्त जानकारियों को एक बार गूगल में जरूर चेक कर लें और जानकारी ठीक पाने पर इस लेख को जरूर लाइक और शेयर कीजिए।धन्यवाद।
Great nice article
जवाब देंहटाएंThanks
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