नोट :- इस लेख को दो भागों में बांटा गया है। Part - 1 में ध्वनि और उसके उपयोग पर जानकारी दी गई है। जबकि Part - 2 में ध्वनि के दुरुपयोग पर जानकारी दी गयी है। समय का अभाव होने पर आप सिर्फ इस लेख का Part - 2 पढ़ लें।Part-2 पढ़ने के लिए निम्नलिखित लिंक क्लिक करें :-
Part-1
Sound
ध्वनि (Sound) एक प्रकार का कम्पन या विक्षोभ (Disturbance) है जो किसी ठोस, द्रव या गैस से गुजर कर संचरित (Propogate) होती है। किन्तु मुख्य रूप से उन कम्पनों को ही ध्वनि कहते हैं जो मानव के कान (Ear) से सुनायी पड़ती हैं। अन्य शब्दों में जिन यांत्रिक तरंगों की आवृत्ति 20 हर्ट्ज़ से 20000 हर्ट्ज़ (Hertz) के बीच होती है, उनकी अनुभूति हमें अपने कानों के द्वारा होती है, और इन्हें हम ध्वनि के नाम से पुकारते हैं।
जब कोई वस्तु कम्पन करती है तो उस पदार्थ के कण कम्पन करते हुए अपनी ऊर्जा निकटवर्ती पदार्थ कणों को स्थानांतरित करती है जिससे समीपवर्ती कण कंपमान होकर इसी ऊर्जा से आगे के कणों को कंपमान कर देती है। इस प्रकार ध्वनि एक कण से निकटवर्ती कणों में स्थानांतरित (Transfer) होती हुए हमारे कानों तक पहुंचती है, जहां ये कम्पन अथवा विक्षोभ जो संवेदन उत्पन्न करते हैं उनसे हम ध्वनि सुन पाते हैं।
► ध्वनि की चाल को प्रभावित करने वाले कारक :-
1. तापमान :- ताप के साथ ध्वनि के वेग में परिवर्तन हो जाता है।

2. माध्यम :- अलग-अलग माध्यमों में ध्वनि की चाल अलग-अलग होती है।
► ध्वनि के संचरण के लिये माध्यम (Medium) की जरूरत होती है। ठोस द्रव, गैस एवं प्लाज्मा में ध्वनि का संचरण सम्भव है। मगर ध्वनि निर्वात (Vaccum) में संचरण नहीं कर सकती।
► ध्वनि एक यांत्रिक तरंग (Mechanical Wave) है न कि विद्युतचुम्बकीय तरंग (ElectroMagnetic Wave)। प्रकाश विद्युतचुम्बकीय तरंग है। सामान्य ताप व दाब (Normal Temperature and Pressure) पर वायु में ध्वनि का वेग लगभग 343 मीटर प्रति सेकेण्ड होता है।
► एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर ध्वनि का परावर्तन (Reflection) एवं अपवर्तन (Refraction) होता है।
► माइक्रोफोन ध्वनि को विद्युत उर्जा में बदलता है; लाउडस्पीकर विद्युत उर्जा को ध्वनि उर्जा में बदलता है।
Longitudinal Waves and Transverse Waves
1. अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal Waves):- जिन तरंगों में कम्पन संचरण की दिशा में अनुदिश (Along the Direction) होते हैं, उन्हें अनुदैर्ध्य तरंगें कहते हैं। अन्य शब्दों में अनुदैर्ध्य तरंगों में संचरण (Propogate) तथा कणों का दोलन एक ही सीध में होता है। इन तरंगों में संपीडन (Compression) व विरलन (Rarefaction) बनते हैं। इसमें माध्यम ठोस, तरल और गैस हो सकता है जिस कारण से ध्वनि तरंगें सामान्यतः अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं।
2. अनुप्रस्थ तरंग (Transverse Waves):- जिन तरंगों में कम्पन संचरण की दिशा में लंबवत (Vertical) होते हैं, उन्हें अनुप्रस्थ तरंगे कहते हैं। अन्य शब्दों में अनुप्रस्थ तरंगों की संचरण दिशा तथा कणों के दोलन की दिशा एक दूसरे के समकोण (Perpendicular) पर होती हैं। इन तरंगों के श्रृंग (Crest) और गर्त (Trough) बनते हैं। अनुप्रस्थ तरंगों में माध्यम सिर्फ ठोस हो सकता है, तरल या गैस नहीं। इस कारण से ध्वनि तरंगें ठोस माध्यम में अनुदैर्ध्य तरंगों के अलावा अनुप्रस्थ तरंगें भी हो सकती हैं।
संपीडन (Compression) :- जब कोई कम्पमान वस्तु आगे की ओर कम्पन करती है तो इस प्रकार एक उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस दाब को संपीडन (C) कहते हैं। आसान शब्दों में संपीडन अनुदैर्ध्य तरंग का वह क्षेत्र है जहां पर माध्यम के कण एक दूसरे के निकटतम होते हैं।
विरलन (Rarefaction) :- जब कोई कम्पमान वस्तु पीछे की ओर कम्पन करती है तो इस प्रकार एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस दाब को विरलन (R) कहते हैं। आसान शब्दों में विरलन अनुदैर्ध्य तरंगों का वह क्षेत्र है जहां पर माध्यम के कण एक दूसरे से दूर होते हैं।
ध्वनि का परावर्तन, अपवर्तन और विवर्तन
1. ध्वनि का परावर्तन (Reflection of Sound) :- ध्वनि का परावर्तन (Reflection) प्रकाश के परावर्तन जैसा ही होता है और ये परावर्तन के उन सभी नियमों का पालन करती है। जिस प्रकार प्रकाश किसी चमकीली सतह से परावर्तित हो जाता है, उसी प्रकार ध्वनि भी पहाड़ियों, भवनों आदि से टकराकर परावर्तित हो जाती है। परावर्तित सतह (Reflecting Surface) की ओर जो ध्वनि संचरण होता है उसे आपतित ध्वनि तरंग कहते हैं और परावर्तित सतह से टकराकर विपरीत दिशा में बढ़ती ध्वनि तरंग को परावर्तित ध्वनि तरंग कहते हैं। ध्वनि तरंगों के परावर्तन के लिए बड़े अवरोधों की आवश्यकता होती है। सतह का चिकना या खुरदरा होने से परावर्तन में कोई फर्क नहीं पड़ता है।
► परावर्तक सतह (Reflecting Surface) पर खींचे गए अभिलंब (सतह पर एक लम्ब जो काल्पनिक रेखा होती है) जिस पर ध्वनि के आपतन कोण (Angle of Incidence) बनने की दिशा तथा परावर्तन कोण (Angle of Reflection) बनने की दिशा के कोण आपस में बराबर होते हैं।
► ध्वनि के आपतन कोण बनने की दिशा, अभिलंब और परावर्तन कोण बनने की दिशा तीनों एक ही सतह पर घटित होते हैं।
► ध्वनि के आपतन कोण बनने की दिशा, अभिलंब और परावर्तन कोण बनने की दिशा तीनों एक ही सतह पर घटित होते हैं।
प्रतिध्वनि (Echo) :- जब किसी स्रोत से उत्पन्न ध्वनि आगे जाकर किसी वस्तु (जैसे दीवार, पहाड़) से टकराकर पुन: स्रोत के पास वापस लौटती है तो इसे प्रतिध्वनि (Echo) कहते हैं। वस्तुत: यह ध्वनि के परावर्तन का परिणाम है जो कुछ देर बाद स्रोत (Origin) के पास वापस पहुंच जाती है। उदाहरण के लिए कुएं में आवाज लगाने पर अपनी ही आवाज थोड़ी देर बाद सुनाई पड़ती है।
► हमारे मस्तिष्क में ध्वनि की संवेदना लगभग 0.1 सेकण्ड तक बनी रहती है। स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम से कम 0.1 सेकण्ड का समय अंतराल अवश्य होना चाहिए। साथ ही स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए अवरोधक की ध्वनि स्रोत से न्यूनतम दूरी, ध्वनि द्वारा तय की गयी कुल दूरी की आधी अर्थात लगभग 17 मीटर अवश्य होनी चाहिए।
► ध्वनिविज्ञान में, ध्वनि के परावर्तन के कारण प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है जो सोनार में उपयोग में लायी जाती है। भूविज्ञान में भूकम्प तरंगों के अध्ययन में परावर्तन उपयोगी है। रेडियो प्रसारण तथा राडार के लिये अत्युच्च आवृत्ति (Very High Frequency) एवं इससे भी अधिक आवृत्तियों का परावर्तन महत्वपूर्ण है। इसके अलावा मेगाफोन, सभागार, स्टेथोस्कोप आदि में भी परावर्तन का उपयोग होता है।
2. अपवर्तन (Refraction of Sound) :- जब ध्वनि तरंगें एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती हैं, तो उन तरंगों का अपवर्तन हो जाता है अर्थात वे अपने पथ से विचलित (Distract) हो जाती हैं। ध्वनि तरंगों का अपवर्तन वायु की भिन्न-भिन्न परतों का ताप होने के कारण होता है। गर्म वायु में ध्वनि की चाल ठंडी वायु की अपेक्षा अधिक होती है इसलिए जब ध्वनि गर्म वायु से ठंडी वायु या ठंडी वायु से गर्म वायु में संचरित होती है तो यह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है।
3. विवर्तन (Diffraction of Sound) :- जब प्रकाश या ध्वनि तरंगें किसी अवरोध से टकराती हैं, तो वे अवरोध के किनारों पर मुड़ जाती हैं और अवरोधक की ज्यामितिय छाया (Geometrical Shadow) में प्रवेश कर जाती हैं। तरंगों के इस प्रकार मुड़ने की घटना को विवर्तन (Diffraction) कहते हैं। ऐसा पाया गया है कि लघु आकार के अवरोधों से टकराने के बाद तरंगें मुड़ जातीं हैं तथा जब लघु आकार के छिद्रों (Openings, Holes) से होकर तरंग गुजरती है तो यह फैल जाती है। सभी प्रकार की तरंगों से विवर्तन होता है (ध्वनि, जल तरंग, विद्युतचुम्बकीय तरंग आदि)।
Doppler Effect
डॉप्लर इफेक्ट (या डॉप्लर शिफ्ट) तरंगों की आवृत्ति या तरंगदैर्घ्य (Wavelength) पर्यवेक्षक (Observer) के सम्बन्ध में बदलाव को कहते हैं जो कि तरंग स्त्रोत के सापेक्ष (Relative to) गतिशील होता है।
► डॉपलर इफेक्ट प्रतिदिन होने वाला अनुभव है। यह देखा गया है कि जब हम उच्च गति के साथ ध्वनि के एक स्थिर स्रोत से संपर्क करते हैं तो ध्वनि की पिच अधिक होती है। और अगर हम ध्वनि के स्रोत से दूर चले जाते हैं तो पिच कम हो जाती है। स्रोत या पर्यवेक्षक (observer) की गति के कारण लहर की पिच (आवृत्ति) में यह बदलाव डॉपलर प्रभाव कहा जाता है। एक ऑस्ट्रियाई भौतिक विज्ञानी जोहान ईसाई डॉपलर, ने सबसे पहले 1842 में डॉपलर प्रभाव प्रस्तावित किया था।
► डॉप्लर इफेक्ट हर तरह के तरंगों पर उपयुक्त होता है, लाइट और साउंड में भी। डॉप्लर इफेक्ट का उपयोग एम्बुलेंस साईरन, खगोल विज्ञान, राडार, चिकित्सा, बहाव का माप (Flow Measurement), वेग का माप (Velocity Profile Measurement), उपग्रह संचार, श्रव्य, कम्पन का माप (Vibration Measurement) आदि में होता है। अंतरिक्ष का फैलाव भी इसी तकनीक से पता लगाया गया है।
ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक्स क्लिक कीजिए :-
1. Doppler effect
2. Practical Applications Of Doppler Effect For Light
► डॉप्लर इफेक्ट हर तरह के तरंगों पर उपयुक्त होता है, लाइट और साउंड में भी। डॉप्लर इफेक्ट का उपयोग एम्बुलेंस साईरन, खगोल विज्ञान, राडार, चिकित्सा, बहाव का माप (Flow Measurement), वेग का माप (Velocity Profile Measurement), उपग्रह संचार, श्रव्य, कम्पन का माप (Vibration Measurement) आदि में होता है। अंतरिक्ष का फैलाव भी इसी तकनीक से पता लगाया गया है।
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1. Doppler effect
2. Practical Applications Of Doppler Effect For Light
Resonance of Sound
अनुनाद (Resonance) :- अनुनाद प्रणोदित कम्पन (Forced Vibration) की एक स्थिति है जिसमें प्रणोदित कम्पनों की आवृत्ति वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर होती है।
► भौतिकी में बहुत से तंत्रों (Systems) की ऐसी प्रवृत्ति होती है कि वे कुछ आवृत्तियों पर बहुत अधिक आयाम के साथ दोलन (Oscillation) करते हैं। इस स्थिति को अनुनाद (Resonance) कहते हैं। जिस आवृत्ति पर सबसे अधिक आयाम वाले दोलन (Maximum Amplitude Oscillation) की प्रवृत्ति पायी जाती है, उस आवृत्ति को अनुनाद आवृत्ति (Resonance Frequency) कहते हैं।
► सभी प्रकार के कम्पनों या तरंगों के साथ अनुनाद की घटना जुड़ी हुई है। अर्थात यांत्रिक, ध्वनि, विद्युतचुम्बकीय अथवा क्वांटम तरंग फलनों (Functions) के साथ अनुनाद हो सकती है। कोई छोटे आयाम का भी आवर्ती बल, जो अनुनाद आवृत्ति वाला या उसके लगभग बराबर आवृत्ति वाला हो, उस तंत्र में बहुत अधिक आयाम के दोलन पैदा कर सकता है।
अनुनाद होने के लिए निम्नलिखित तीन चींजें जरूरी हैं :-
1. एक वस्तु या तन्त्र - जिसकी कोई प्राकृतिक आवृत्ति हो।
2. वाहक या कारक बल (Driving Force) - जिसकी आवृत्ति, तन्त्र की प्राकृतिक आवृत्ति के समान हो।
3. इस तंत्र में उर्जा नष्ट करने वाला अवयव (Component) कम से कम हो। (Should be Less Damping)
घर्षण (Friction), प्रतिरोध (Resistance), श्यानता (Viscousity) आदि किसी तन्त्र में उर्जा ह्रास (Energy Deterioration) के लिये जिम्मेदार होते हैं।
Charateristics of Sound
► आवृत्ति (Frequency) :- जब ध्वनि किसी माध्यम में संचरित होती है तो माध्यम का घनत्व (Density) किसी अधिकतम तथा न्यूनतम मान के बीच बदलता है। घनत्व के अधिकतम मान से न्यूनतम मान तक परिवर्तन में और पुनः अधिकतम मान तक आने पर एक दोलन पूरा होता है। एकांक समय में इन दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है। प्रति एकांक समय (Every Single Time) में गुजरने वाले संपीडनों तथा विरलनों की संख्या की गणना करने पर ध्वनि तरंगों की आवृत्ति ज्ञात हो जाती है। अन्य शब्दों में एकांक समय (Single Time) में किए गए कम्पनों या दोलनों की संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है। आवृत्ति का S.I. मात्रक हर्ट्ज़ (Hertz, Symbol Hz) है।
► आयाम (Amplitude) :- मूल स्थिति (Mean Position) से माध्यम के विक्षोभ का अधिकतम विस्थापन (Maximum Displacement) आयाम कहलाता है। ध्वनि तरंगों के विक्षोभ से उत्पन्न कम्पन से हवा के कणों की मूल स्थिति में हुई अधिकतम विस्थापन, ध्वनि तरंगों का आयाम है।
► वेग (Velocity) :- तरंग में किसी बिंदु (जैसे संपीडन या विरलन) द्वारा एक सेकंड में तय दूरी को तरंग का वेग कहते हैं। तरंग का वेग माध्यम पर निर्भर करता है। किसी माध्यम में तरंग का वेग नियत (Fixed) रहता है। जब भी किसी माध्यम में तरंग की आवृत्ति बढ़ती है तो तरंगदैर्ध्य घटता है।
◙ ध्वनि तरंग के आवर्तकाल और तरंगदैर्ध्य में अंतर :- ध्वनि तरंग की आवर्तकाल से अर्थ है हवा के कणों को एक दोलन पूर्ण करने में जितना समय लगता है वह ध्वनि तरंग की आवर्तकाल है, जबकि, ध्वनि तरंग के तरंगदैर्ध्य से अर्थ है हवा के क्षेत्र में दो क्रमागत संपीडन अथवा विरलन के बीच की दूरी ध्वनि तरंग का तरंगदैर्ध्य है।
► आयाम (Amplitude) :- मूल स्थिति (Mean Position) से माध्यम के विक्षोभ का अधिकतम विस्थापन (Maximum Displacement) आयाम कहलाता है। ध्वनि तरंगों के विक्षोभ से उत्पन्न कम्पन से हवा के कणों की मूल स्थिति में हुई अधिकतम विस्थापन, ध्वनि तरंगों का आयाम है।
► वेग (Velocity) :- तरंग में किसी बिंदु (जैसे संपीडन या विरलन) द्वारा एक सेकंड में तय दूरी को तरंग का वेग कहते हैं। तरंग का वेग माध्यम पर निर्भर करता है। किसी माध्यम में तरंग का वेग नियत (Fixed) रहता है। जब भी किसी माध्यम में तरंग की आवृत्ति बढ़ती है तो तरंगदैर्ध्य घटता है।
► आवर्तकाल (Time Period) :- माध्यम के कणों द्वारा एक दोलन पूरा करने में लगा समय आवर्तकाल कहलाता है। अन्य शब्दों में दो क्रमागत (Consecutive) सम्पीडनों (Compression) या दो क्रमागत विरलनों (Rarefaction) को निश्चित बिंदु (Given Point) से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्तकाल कहते हैं। अगर तरंग की आवृत्ति बढ़ती है तो उस तरंग का आवर्तकाल घटता है। आवर्तकाल को "T" से प्रदर्शित करते हैं। इसका S.I. मात्रक second(s) है।
► तरंगदैर्ध्य (Wavelength) :- दो क्रमागत (Consecutive) सम्पीडनों (Compression)अथवा दो क्रमागत विरलन (Rarefaction) के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती हैं। इसे सामान्यतः λ (Symbol of Lambda) से प्रदर्शित करते हैं। इसका S.I. मात्रक meter (m) है। तेज आवृत्ति वाली तरंगों का लघु तरंगदैर्ध्य होता है जबकि धीमी आवृत्ति वाली तरंगों का दीर्घ तरंगदैर्ध्य होता है।
◙ ध्वनि तरंग के आवर्तकाल और तरंगदैर्ध्य में अंतर :- ध्वनि तरंग की आवर्तकाल से अर्थ है हवा के कणों को एक दोलन पूर्ण करने में जितना समय लगता है वह ध्वनि तरंग की आवर्तकाल है, जबकि, ध्वनि तरंग के तरंगदैर्ध्य से अर्थ है हवा के क्षेत्र में दो क्रमागत संपीडन अथवा विरलन के बीच की दूरी ध्वनि तरंग का तरंगदैर्ध्य है।
Other Properties of Sound
► तीव्रता (Intensity) :- एक सेकण्ड में एकांक क्षेत्रफल से गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं। ध्वनि की तीव्रता मापी जाती है। ध्वनि की तीव्रता का सम्बन्ध उसकी ऊर्जा से है।

◙ डेसीबेल (Decibel) :- ध्वनि की मात्रा को मापने की यूनिट डेसीबल (dB) होती है। डेसीबल मान एक निश्चित संदर्भ बिंदु (Reference Point) के लिए तरंग की तीव्रता का लॉगरिदमिक अनुपात (Logarithmic Ratio) होता है। ध्वनि की प्रबलता उसकी तीव्रता या ऊर्जा से सम्बंधित है। जैसे जैसे डेसीबेल लेबल बढ़ता है ध्वनि तरंगों की तीव्रता बढ़ती है, जिस कारण ध्वनि की प्रबलता भी बढ़ती है। डेसीबेल तीव्रता को मापने की इकाई है।
► तारत्व (Pitch) :- तारत्व ध्वनि का वह गुण है जिसके कारण ध्वनि बारीक अथवा मोटी सुनाई पड़ती है। तारत्व को मापा नहीं जा सकता परन्तु अनुभव किया जा सकता है। तारत्व ध्वनि की आवृत्ति पर निर्भर करता है। उच्च आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व ऊंचा होता है तथा यह ध्वनि बारीक सुनाई पड़ती है। इसके विपरीत निम्न आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व नीचा होता है तथा यह ध्वनि मोटी सुनाई पड़ती है। मच्छर की भिनभिनाहट का तारत्व ऊंचा होता है तथा शेर की दहाड़ का तारत्व नीचा होता है। जबकि शेर की दहाड़ अत्यधिक प्रबल होती है और मच्छर की ध्वनि दुर्बल होती है।
► गुणवत्ता (Quality, Timbre) :- गुणवत्ता ध्वनि का वह गुण है जिसके आधार पर दो समान तारत्व तथा समान प्रबलता वाली ध्वनियों में विभेद (Distiction) किया जा सकता है। इस गुण के कारण ही दो अलग व्यक्तियों की आवाज या दो अलग संगीत वाद्ययंत्रों (Musical Instruments) में विभेद किया जा सकता है।
Sound Waves Classification in Frequecy
आवृत्ति के अनुसार वर्गीकरण इस प्रकार है :-
1. अवश्रव्य (Infrasound) :- वे ध्वनि तरंगें जिनकी आवृत्ति 20 हर्ट्ज़ से कम होती है और जिन्हें इंसान सुन नहीं पाते, उन्हें अवश्रव्य तरंग कहते हैं।
► अवश्रव्य प्राकृतिक घटना के रूप में भी हो सकती है और मानव निर्मित भी। जैसे कि प्राकृतिक रूप से भूकंप, समुद्री लहरों के कारण, आंधी तूफान, जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म (Geomagnetic Storm) आदि। मानव निर्मित रूप में पवन टरबाइन (Wind Turbine), राकेट प्रक्षेपण (Rocket Launching) आदि।
► अवश्रव्य प्राकृतिक घटना के रूप में भी हो सकती है और मानव निर्मित भी। जैसे कि प्राकृतिक रूप से भूकंप, समुद्री लहरों के कारण, आंधी तूफान, जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म (Geomagnetic Storm) आदि। मानव निर्मित रूप में पवन टरबाइन (Wind Turbine), राकेट प्रक्षेपण (Rocket Launching) आदि।
2. श्रव्य (Audible Sound) :- वे ध्वनि तरंगें जिनकी आवृत्ति 20 हर्ट्ज़ से 20000 हर्ट्ज़ के बीच होती हैं और जिन्हें इंसान सुन सकता है, उन्हें श्रव्य तरंग कहते हैं।
3. पराश्रव्य (Ultrasound) :- वे ध्वनि तरंगें जिनकी आवृत्ति 20000 हर्ट्ज़ से अधिक होती हैं और जिन्हें इंसान सुन नहीं पाते, उन्हें पराश्रव्य तरंग कहते हैं 20 किलोहर्ट्ज (KHz) से ऊपर की आवृत्ति को परश्रव्य कहते हैं। पराश्रव्य की आवृत्ति कई गीगाहर्ट्ज (GHz) तक हो सकती है।
ध्वनि के लिए निम्नलिखित शब्दों का भी प्रयोग होता है :-
► वैमानिकी (विमान विद्या, Aeronautics) में ट्रांसोनिक (Transonic) उस उड़ान को कहते हैं जो कि ध्वनि की गति या उसके आस-पास होती है। इस स्थिति में उड़ान की गति मैक 0.72 से 1 (Mach 0.72 to 1) के बीच होती है।
► सुपर सोनिक वह गति है जो ध्वनि की गति से ज्यादा होती है। इसे मैक 1 (Mach 1) गति भी कहा जाता है।
► हाइपरसोनिक या अतिध्वनिक वह गति है जो बहुत तेज सुपरसोनिक गति को कहते हैं। वह मैक 5 (Mach 5) गति या ध्वनि की गति से 5 गुणा तेज गति होती है। हाइपरसोनिक तीन प्रकार का होता है :- कम हाइपरसोनिक, हाइपरसोनिक और तेज हाइपरसोनिक।
Perception of Ultrasound and Infrasound
हालांकि पराश्रव्य और अवश्रव्य इंसानों के सुनने की सीमा से क्रमशः अधिक या कम है, मगर कुछ स्थिति में इन ध्वनियों से उत्पन्न कम्पन को महसूस किया जा सकता है।
1. अल्ट्रासोनिक श्रवण (Hearing) से अर्थ है कि अल्ट्रासाउंड को, खोपड़ी (Skull) की हड्डियों के संवाहन (conduction, प्रवाहत्तव, ताप चालन) से अंदरूनी कानों (Inner ear, Cochlea ) में उत्पन्न कम्पन, द्वारा महसूस किया जाना। इस तरह से सामान्य व्यक्ति की सुनने की ऊपरी क्षमता 15 से 28 किलोहर्ट्ज तक हो सकती है, जो कि व्यक्ति पर भी निर्भर करता है।
► पराश्रव्य का 120 डेसिबल से ज्यादा का प्रयोग से बहरापन हो सकता है। 155 डेसिबल से ऊपर इस्तेमाल करने से ताप पैदा होता है जो इंसानी शरीर के लिए नुकसानदायक होता है . यह गणना की गई है कि 180 डेसिबेल से ऊपर इस्तेमाल करने से जान भी जा सकती है। ब्रिटैन हेल्थ प्रोटेक्शन एजेंसी द्वारा पराश्रव्य ध्वनि दबाव लेवल (Ultrasonic Sound Pressure Level) को 70 डेसिबेल (20 किलोहर्ट्ज पर) पर तथा 100 डेसिबेल (25 किलोहर्ट्ज और उससे ऊपर) तय की गई है।
► ज्यादा समय तक पराश्रव्य झेलने पर सरदर्द, चक्कर और उलटी के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा कम आवृत्ति के पराश्रव्य आवृत्ति से कान खराब भी हो सकते हैं।
2. अवश्रव्य इंसानों के कानों में तब महसूस होता है जब इस आवृत्ति की ध्वनि का दबाव बहुत अधिक होता है। इसके अलावा इंसान अवश्रव्य से उत्पन्न कम्पन को शरीर में महसूस कर सकते हैं। जैसे की रॉक कॉन्सर्ट में गिटार, ड्रम आदि वाद्य-यंत्रों से उत्पन्न कम आवृत्ति के टोन शरीर में महसूस होते हैं, जिसे बेस (Bass) कहते हैं।अवश्रव्य के कारण व्यक्ति को बैचनी, घबराहट, उलटी आना, सिर चकराना, डर, शोक (Sadness) आदि का एहसास हो सकता है, जिसकी तीव्रता व्यक्ति पर भी निर्भर करती है।
► अवश्रव्य की 19 हर्ट्ज़ आवृत्ति को भूत की आवृत्ति (Infrasound Ghost Frequency) माना जाता है। कॉवेन्ट्री विश्वविद्यालय के व्याख्याता विक टेंडी और डॉ टोनी लॉरेन्स ने 1998 में सोसाइटी फॉर साइकिकल रिसर्च पत्रिका (Society for Psychical Research Journal) में लिखा था कि 19 हर्ट्ज़ की आवृत्ति भूत दिखने का कारण हो सकती है। विक टेंडी को काम करते वक्त यह पता चला था कि पंखे से 18.98 की आवृत्ति उत्पन्न हो रही थी जो की नासा द्वारा दी गयी आंखों की अनुनाद आवृत्ति (Resonance Frequency) 18 हर्ट्ज़ के आस-पास थी, जिस कारण आंखों में अनुनाद के कारण ही भूत होने का दृष्टि-भ्रम (Optical Illusion) होता है। इस खोज के आधार पर टेंडी ने एक लेख "दी घोस्ट इन दी मशीन" भी लिखा है।
ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक्स को क्लिक कीजिए :-
5. Responses of the ear to low frequency sounds, infrasound and wind turbines.
6. The Ghost In The Machine
6. The Ghost In The Machine
Uses of Ultrasound
पराश्रव्य का बहुत से क्षेत्रों में उपयोग होता है, जैसे :-
1. चिकित्सा के क्षेत्र में पराश्रव्य का कई प्रकार से इस्तेमाल होता है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :-
(क) अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography) एक तकनीक है जिसमें पराध्वनि तरंगें शरीर के उतकों में गमन करती हैं तथा उस स्थान से परावर्तित हो जाती है। इसके पश्चात इन तरंगों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित किया जाता है। जिससे उस अंग का प्रतिबिम्ब (छवि, Image) बना लिया जाता है तथा इन प्रतिबिम्बों को मॉनिटर पर देखा जा सकता है। इस तकनीक का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में ट्यूमर, गुर्दे की पथरी, अल्सर आदि बिमारियों के लिए किया जाता है।
(ख) लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) द्वारा किडनी के पत्थर को बारीक तोड़ना आदि
(ग) पराश्रव्य तरंगों को हृदय के विभिन्न भागों से परावर्तित करा कर हृदय का प्रतिबिम्ब बनाया जाता है। इस तकनीक को इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography) कहते हैं।
(घ) डॉप्लर पराश्रव्य (Doppler Infrasound) टेस्ट में प्रतिबिम्बित ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल रक्त वाहिका में रक्त के बहाव को देखने के लिए किया जाता है। इससे डॉक्टर को महत्वपूर्ण धमनियों (Arteries) और नसों (Veins) मे रक्त के बहाव को जांचने में मदद मिलती है। इस तकनीक के माध्यम से ध्वनि तरंगें ठोस वस्तुओं से टकराकर वापस आती हैं, जिसमें रक्त कोशिकाएं (Cells) भी शामिल होती हैं। रक्त कोशिकाओं की चाल से प्रतिबिम्बित ध्वनि तरंगों के तारत्व (Pitch) में बदलाव आता है। इसे डॉप्लर इफ़ेक्ट (Doppler Effect) कहते हैं। अगर रक्त का बहाव नहीं होगा तो धमनियों में तारत्व में भी बदलाव नहीं होगा। प्रतिबिम्बित ध्वनि तरंगों से मिली जानकारी को ग्राफ और चित्र में इस्तेमाल होता है जो रक्त के बहाव को दिखाते हैं।
(क) अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography) एक तकनीक है जिसमें पराध्वनि तरंगें शरीर के उतकों में गमन करती हैं तथा उस स्थान से परावर्तित हो जाती है। इसके पश्चात इन तरंगों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित किया जाता है। जिससे उस अंग का प्रतिबिम्ब (छवि, Image) बना लिया जाता है तथा इन प्रतिबिम्बों को मॉनिटर पर देखा जा सकता है। इस तकनीक का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में ट्यूमर, गुर्दे की पथरी, अल्सर आदि बिमारियों के लिए किया जाता है।
(ख) लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) द्वारा किडनी के पत्थर को बारीक तोड़ना आदि
(ग) पराश्रव्य तरंगों को हृदय के विभिन्न भागों से परावर्तित करा कर हृदय का प्रतिबिम्ब बनाया जाता है। इस तकनीक को इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography) कहते हैं।
(घ) डॉप्लर पराश्रव्य (Doppler Infrasound) टेस्ट में प्रतिबिम्बित ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल रक्त वाहिका में रक्त के बहाव को देखने के लिए किया जाता है। इससे डॉक्टर को महत्वपूर्ण धमनियों (Arteries) और नसों (Veins) मे रक्त के बहाव को जांचने में मदद मिलती है। इस तकनीक के माध्यम से ध्वनि तरंगें ठोस वस्तुओं से टकराकर वापस आती हैं, जिसमें रक्त कोशिकाएं (Cells) भी शामिल होती हैं। रक्त कोशिकाओं की चाल से प्रतिबिम्बित ध्वनि तरंगों के तारत्व (Pitch) में बदलाव आता है। इसे डॉप्लर इफ़ेक्ट (Doppler Effect) कहते हैं। अगर रक्त का बहाव नहीं होगा तो धमनियों में तारत्व में भी बदलाव नहीं होगा। प्रतिबिम्बित ध्वनि तरंगों से मिली जानकारी को ग्राफ और चित्र में इस्तेमाल होता है जो रक्त के बहाव को दिखाते हैं।
2. कागज उत्पादन और पुनः चक्रण में कागज से पानी का दाग हटाना, पल्प से गैस निष्कासन, लकड़ी के बुरादा और टुकड़ों को पल्प में बदलना आदि तथा पुनः चक्रण में कागज से स्याही, गंदगी, तेल आदि अलग करना, जीवाणुओं को घटाना, निर्जलीकरण आदि
3. खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण में पल्प को छिलके से अलग करना, सुखाना, क्रिस्टलीकरण (crystallization), इमल्सिफिकेशन (emulsification), पाश्चराइजेशन (Pasteurization), जीवाणुओं को निष्क्रिय करना आदि। पराश्रव्य का उपयोग सब्जियों और फलों, दाल उत्पादन, शहद, प्रोटीन, डेयरी आदि क्षेत्रों में होता है। जल शोधन में भी पराश्रव्य को उपयोग होता है।
4. पुनः चक्रण फैक्ट्री (Recycling Factory ) में धातु घटक (Metal Components) की सफाई जैसे मिट्टी, ग्रीज़, गंदगी आदि अलग करना। लौह अयस्क से भी मिट्टी हटाने, स्टील तनन - सामर्थ्य या तनाव पुष्टि (Steel Tensile Strength) मापने में भी पराश्रव्य काम आता है।
5. धातु की वस्तुओं, हवाई जहाज, तेल पाइपलाइन, फ्लाईओवर आदि की संरचना में दरार खोजना।
6. प्रतिध्वनि स्थान निर्धारण (Echolocation) द्वारा संचार, खोज और मार्ग-निर्देशन (नेविगेशन)।
7. पराश्रव्य का इस्तेमाल गैर सम्पर्क संवेदक (Non Contact Sensor), गति संवेदक और बहाव मापन (Motion Sensor and Flow Measurement), गैर विध्वंसक परिक्षण (Non Destructive Tests), पराश्रव्य दूरी मापन (Ultrasound Distance Measurement), पराश्रव्य पहचान निर्धारण(Ultrasound Identification), इमेजिंग (Imaging), ध्वनिक माइक्रोस्कोपी (Sonic Microscopy), पराश्रव्य वेल्डिंग (Ultrasound Welding) , तार रहित संचार, पशुचिकित्सा आदि बहुत से क्षेत्रों में होता है।
इसके अलावा डॉप्लर अल्ट्रासाउंड पर ज्यादा ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक्स को क्लिक कीजिए :-
Uses of Infrasound
अवश्रव्य का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए होता है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :-
1. ज्वालामुखी फटने का पूर्वानुमान और मापन।
2. भूकंप का पूर्वानुमान और मापन।
3. उल्का (Meteors) का पता लगाना।
4. लम्बी दुरी का संचार।
5. फिल्मों में प्रभाव (effect) लिए इस्तेमाल, उदहारण के तौर पर Iresistible, Apocalypse Now फिल्म में अवश्रव्य का इस्तेमाल किया गया है।
6. परमाणु विस्फोट का पता लगाना।
7. जीव वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि अफ्रीकी हाथी, बैलीन व्हेल, जिराफ आदि जीव, संवाद के लिए अवश्रव्य का प्रयोग करते हैं।
ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक्स को क्लिक कीजिए :-
8. Can Animals Predict Disaster?-Listening to Infrasound
इस लेख में ध्वनि और उसके उपयोग की जानकारी दी गयी है। जबकि इस लेख के Part-2 में ध्वनि के दुरुपयोग के बारे में जानकारी मिलेगी। Part-2 पढ़ने के लिए आप निम्नलिखित लिंक को क्लिक करें :-
ध्वनि : उपयोग और दुरुपयोग (5) Part-2
इस लेख में ध्वनि और उसके उपयोग की जानकारी दी गयी है। जबकि इस लेख के Part-2 में ध्वनि के दुरुपयोग के बारे में जानकारी मिलेगी। Part-2 पढ़ने के लिए आप निम्नलिखित लिंक को क्लिक करें :-
ध्वनि : उपयोग और दुरुपयोग (5) Part-2
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