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शुक्रवार, अगस्त 30, 2019

ध्वनि : उपयोग और दुरुपयोग (5) Part-2

Part-2


Misuse of Ultrasound


1. Mind Reading

अगर आपने इस ब्लॉग के लेख "आपके विचारों को पढ़ा जा सकता है! (2)" को पढ़ा है तो आपको पता ही होगा कि वैज्ञानिकों ने पराश्रव्य का उपयोग करके मस्तिष्क के विचारों को पढ़ने का तरीका निकाल लिया है। इसके अलावा शरीर में न्यूरल इम्प्लांट या न्यूरल डस्ट डालकर, उसे वायरलेस तरीके से कंट्रोल करने के लिए भी पराश्रव्य का इस्तेमाल किया जाएगा। यहां तक कि व्यक्ति विचारों में क्या तस्वीर देख रहा है या कोई फिल्म देख रहा है तो उसे भी मस्तिष्क में देख पाने का रास्ता विज्ञान ने खोल दिया है। ऐसी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि इस खोज का बहुत ज्यादा दुरुपयोग हो सकता है।

विस्तार से जानने के लिए आपको इस ब्लॉग का लेख "आपके विचारों को पढ़ा जा सकता है! (2)" को पढ़ना होगा। इसके अलावा यहां भी इस विषय पर निम्नलिखित कुछ लिंक्स दिए जा रहे हैं, जिन्हें आप क्लिक करके देख सकते हैं :-

1. Controlling brain cells with ultrasound


2. Spying and Hacking, Listening Every Conversation

जासूसी और हैकिंग के लिए पराश्रव्य का दुरुपयोग किया जा रहा रहा है। इस ध्वनि का उपयोग मोबाइल व अन्य गैजेट्स को हैक करने तथा लोगों की बातें सुनने के लिए किया जा रहा है। इंसान बेशक पराश्रव्य को नहीं सुन पाते मगर मोबाइल, स्पीकर, टीवी, अमेज़न इको की अलेक्सा आदि में लगे माइक पराश्रव्य को सुन सकते हैं। इस तरीके से किसी के भी ऊपर 24 घंटे जासूसी की जा सकती है। ऐसे बहुत से मोबाइल एप्प हैं जो लोगों की बातों को सुनते हैं तथा पराश्रव्य के संकेतों को समझते हैं।

इस विषय के लिए थोड़े ज्यादा लिंक्स दिए जा रहे हैं, जिससे कि आप क्लिक करके ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकें :-













3. Sonar  or Echolocation Spying

अब तो यह भी कहा जा रहा है कि स्मार्ट स्पीकर के संगीत में सोनार सिग्नल्स का मिश्रण करके लोगों की गतिविधियों जैसे चलना, कूदना आदि का भी पता लगाया जा सकता है। इसे राडार तकनीक भी कहा जा सकता है।

ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख को क्लिक कीजिए :-

1. Hackers Could Use A Pop Song To “Watch” You Through Your Smart Speaker

2. Your phone can now be turned into an ultrasound sonar tracker against you and others


4. Spying Conversation

लोगों की बातों को सुनने के लिए उनके ही घर और दफ्तर की खिड़कियों के कम्पन का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह बात सुनने में एकदम से यकीन नहीं आए या जेम्स बांड की किसी फिल्म की बात लगे, मगर बातों से निकली कम्पन खिड़की में महसूस होती है जिसे की जुगाड़ से जासूस सुनते हैं। इस कार्य के लिए कुछ अनुकूल परिस्थितियों में लेज़र की बीम को खिड़की पर केंद्रित किया जाता है और प्राप्त हुए प्रतिबिंबित कम्पन के इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स को दोबारा से ध्वनि में तब्दील कर दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पहले रेडियो सिग्नल्स के द्वारा भी इस प्रकार की जासूसी संभव थी, मगर समय के साथ अब पराश्रव्य का उपयोग भी इस तरह की जासूसी के लिए किया जा रहा है। तीसरी लिंक में पराश्रव्य के इस्तेमाल का जिक्र  है।

 ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक्स को क्लिक कीजिए:-


3. The psychoacoustic effect of infrasonic, sonic and ultrasonic frequencies within non-lethal military warfare techniques.


5. हैंडहेल्ड अल्ट्रासाउंड डिवाइस (Handheld Ultrasound Device) :- पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड उपकरण हालांकि 1980 में शुरू हुई थी मगर बैटरी चालित उपकरण को सबसे पहले सोनोसाइट (SonoSite) ने 1998 में उतारा था। पिछले एक दशक से GE, Hitachi, Fukuda, Mindray, Toshiba, Philips, Samsung, Siemens जैसी कंपनियां इस तरह के उपकरण बना रही हैं। पोर्टेबल पराश्रव्य कई प्रकार के हैं :- लैपटॉप की तरह का उपकरण, मोबाइल से जुड़ने वाले उपकरण, मोबाइल एप्प तथा हाथ में समाने वाले पराश्रव्य उपकरण। यह उपकरण 14 पाउंड (14 Pound = 6.35 Kg) से लेकर 1 पाउंड (1 Pound = 0.45 Kg) वजन की रेंज में उपलब्ध हैं। इन उपकरणों से सोनोग्राफी, रक्त के बहाव का वेग, इकोकार्डियोग्राफी आदि टेस्ट हो सकते हैं।

पोर्टेबल पराश्रव्य उपकरण का एक दुरुपयोग तो यह है कि इनसे भ्रूण हत्याएं बढ़ रही है। मगर मैं यहां एक आशंका जता रहा हूं कि जो लोग पराश्रव्य का इस्तेमाल मस्तिष्क के विचारों को पढ़ने के लिए कर रहे हैं, क्या वे इन उपकरणों का दुरुपयोग मस्तिष्क विचारों को पढ़ने, शरीर में पल्स या सीरीज में निशाना मारने, लोगों की जानकारी के बिना ही उनके शरीर के हिस्सों की स्कैनिंग, टेस्ट आदि नहीं करेंगे? वैसे भी पराश्रव्य खुद एक ऐसा उदाहरण है जो यह साबित करता है कि चिकित्सा में उपयोग आने वाली वस्तुओं का भी हथियार, जासूसी आदि कार्यों में इस्तेमाल हो रहा है। 


असल में पोर्टेबल पराश्रव्य उपकरण अपने आप में माध्यम भर है जो इमरजेंसी में किसी की जान भी बचा सकती है। इसलिए यह इस्तेमाल करने वाले की नियत पर निर्भर करता है कि वह इसका उपयोग कर रहा है या दुरुपयोग। मगर जो ताकतें इस तरह की नयी टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग कर रही हैं, उनके विरुद्ध जरूर सभी को जागरूक होना चाहिए वर्ना दुनिया में लक्षित व्यक्तियों (Targeted Individuals) की आबादी बढ़ती जाएगी!

पोर्टेबल पराश्रव्य उपकरण के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक्स को क्लिक कीजिए :-









Misuse of Sound

पराश्रव्य के दुरुपयोग को पहले इसलिए दिया गया क्योंकि इस आवृत्ति की ध्वनि का विभिन्न प्रकार से दुरुपयोग किया जा रहा है। अवश्रव्य का दुरुपयोग नहीं मिला सिवाय इसके कि अवश्रव्य से उलटी, बैचेनी, घबराहट आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं, जिस कारण अलग से यह विषय नहीं दिया गया है। पराश्रव्य और अपश्रव्य को हथियार के रूप में जरूर इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसे ध्वनि के दुरुपयोग विषय में कुछ एक-दो और दुरूपयोग के साथ दिया जा रहा है।

1. Sound as a Weapon

ध्वनिक और पराध्वनिक हथियार वे हथियार हैं जो ध्वनि का इस्तेमाल घायल करने, पंगु करने और दुश्मन की हत्या करने के काम आता है। इसके अलावा ध्वनिक गोलियां, ध्वनिक तोप (Canon), हथियार के कुछ रूप हैं।

►  ध्वनिक तरंगें सामयिक तरंगों या स्पन्द (pulse) तरंग में हो सकती हैं .स्पन्द तरंगों का इस्तेमाल टारगेट को एक बार निशाना बनाने और सामयिक (series) तरंगें वह तरंग है जो श्रृंखला में लगातार निशाना बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। स्पन्द तरंगों को लक्षित व्यक्तियों (Targeted Individuals) द्वारा कई बार जानकारी के अभाव में न्यूरल इम्प्लांट भी समझ लिया जाता है।

►  ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है। इसलिए पराश्रव्य और अवश्रव्य को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। पराश्रव्य के रिसर्च में पाया गया है कि 700 किलोहर्ट्ज से 3.6  मेगाहर्ट्ज के इस्तेमाल से चूहे के फेफड़ों और आंत में क्षति पहुंचती है। जबकि अवश्रव्य से सरदर्द, उलटी, बेचैनी, डिप्रेशन, डर आदि लक्षण पैदा होते हैं। अधिक समय तक तीव्रता (Intensity) के साथ अवश्रव्य के इस्तेमाल से शरीर के अंदरूनी अंगों को अवश्रव्य जनित अनुनाद कम्पन से क्षति पहुंच सकती है।

►  असल में ध्वनि तरंगों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल, चलाने वाले की नीयत पर निर्भर करती है कि वह उससे किसी प्रकार की क्षति पहुंचाना चाहता है अर्थात बीमार करना चाहता है, मारना चाहता है या परेशान (Disturbed) रखना चाहता है। यह क्षति ध्वनि की प्रबलता, तीव्रता और समयावधि पर निर्भर करती है।

ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख को क्लिक कीजिए :-













2. Solitary Waves


सोलिटरी वेव्स असल में साउंड बुलेट्स हैं जो कि न्यूटन के पालने (Newton's Cradle) पर आधारित है। यह डिवाइस संवेग के संरक्षण (conservation of momentum) के सिद्धांत को दर्शाता है। न्यूटन का क्रैडल में कुछ गोले (Spheres) सीरीज में लगे होते हैं। इसके एक कोने का एक गोला उठा कर छोड़ने पर वह स्थिर गोलों से टकराता है जो बल को अंतिम गोले तक पहुंचाते हैं जिससे अंतिम गोला उठता है और वापस आकर स्थिर गोले से टकराता है और पहले गोले को उठाता है। अगर दो (या तीन) गोलों को साथ में उठाया जाता है तो बल स्थिर गोलों से होते हुए अंतिम दो (या तीन गोलों) को उठाता है जो वापस आकर स्थिर गोलों को टकराता है और फिर से पहले दो या (तीन गोलों) को उठाता है। इसी आधार पर "न्यूटन का पालना" खिलौना बना है। इसी खिलौने पर आधारित साउंड बुलेट्स बनाया गया है।


ज्यादा जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख को क्लिक कीजिए :-





3. Hum Sound

पूरी दुनिया में, हर देश में हम्म साउंड से बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं। हम्म साउंड को खामोश शोर (Silent Noise) भी कहा जाता है। अगर आप हम्म साउंड (Hum Sound) को नेट में डालकर देखेंगे तो आपको पता लगेगा कि इस रहस्यमयी शोर का स्रोत ही किसी को पता नहीं लग पा रहा है। कुछ तो इसे गंभीरता से ही नहीं लेते तथा इस ध्वनि को सुनने वालों को पागल बताते हैं, जबकि दूसरी ओर इसी ध्वनि से बहुत से लोग रात भर सो नहीं पाते हैं जिस कारण उनकी दिनचर्या पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो जाती है तथा नौकरी, दुकानदारी आदि बुरी तरह से प्रभावित होती है।

►  वैसे कान की एक ऐसी समस्या भी होती है जिसे टिनिटस (Tinnitus or Meniere's Disease) कहते हैं, जिसमें कान  के अंदर लगातार महीन घंटी या अन्य अजीब सी ध्वनि (Ringing, Buzzing, Hissing, Chirping, Whistling, or other sounds.) गूंजती है जो सिर्फ पीड़ित व्यक्ति को ही सुनाई देती है। टिनिटस होने पर अचानक से कभी-कभी चक्कर आते हैं और शरीर का संतुलन नहीं हो पाता जिसे वर्टिगो (Vertigo) कहते हैं तथा जो दवा खाने पर या कुछ दिन आराम करने पर ठीक हो जाता है। असल में इंसान के अंदरूनी कानों (Internal Ear, Cochlea) में जो तरल पदार्थ होते हैं वह शरीर को संतुलित रखते हैं। टिनिटस बहुत से कारणों से होता है जिसकी सही वजह भी कई बार नहीं पता चलती। चोट लगने पर, तेज ध्वनि, उम्र बढ़ने,  कान में संक्रमण, रक्तचाप  बढ़ने आदि बहुत सी वजहों से टिनिटस हो सकता है और इसे पूरी तरह से कोई बीमारी कहना भी गलत है। पायलट और स्कूबा गोताखोर (Scuba Divers) में टिनिटस की समस्या बहुत आम है। 

इसीलिए कई तो रहस्यमय हम्म साउंड को कान की समस्या ही बताते हैं। मगर जिस हम्म साउंड से अनगिनत लोग परेशान हैं वह कान की समस्या से बिल्कुल अलग है। रहस्यमय हम्म साउंड बीच-बीच में बंद भी हो जाता है। इसलिए कुछ इसे मानव-जनित ध्वनि प्रदूषण समझते हैं। कुछ तो इसे मोड्युलेशन के तर्ज पर मस्तिष्क के विचारों को पढ़ने की टेक्नोलॉजी भी मानते हैं, ठीक उसी प्रकार से जैसे साउंड वेव को रेडियो वेव में जोड़ा जाता है तथा बाद में डिमोड्यूलेशन के जरिए साउंड वेव को पुनः प्राप्त किया जाता है।

Is this the Mysterious Hum?

यहां निम्नलिखित कुछ लिंक्स दिए जा रहे हैं जिनसे ऐसा आभास होता है कि हम्म का इस्तेमाल तथाकथित तौर पर अपराधों के रोक-थाम के लिए किया जा रहा है। इस तकनीक में इलेक्ट्रिक ग्रिड से हर तरफ 50 हर्ट्ज़ आवृत्ति में हम्म छोड़ा जाता है जो कि दुकानों, घरों आदि हर जगह प्रसारित होती है। इस हम्म में हर तरह की डिजिटल रिकॉर्डिंग इस हम्म में सन्निहित (Embedded) हो जाती है। इस हम्म की लगातार चौबीसों घंटे, साल दर साल (Year by Year) रिकोर्डिंग की जाती है। इस हम्म साउंड की खोज रोमानिया के ऑडियो विशेषज्ञ डॉ. कैटलिन ग्रिगोरस (Dr. Catalin Grigoras) ने की थी।

मगर क्या ऐसा भी हो सकता है कि कुछ ताकतें इसी प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल लोगों को चौबीसों घंटे परेशान (Disturbed) रखने के लिए कर रही हों? या फिर इस तकनीक का इस्तेमाल 24 X 7 X 365 दिन सामूहिक निगरानी (Mass Surveillance) के लिए किया जा रहा है?
कृपया इन लिंक्स को क्लिक करें :-






अंत में यूरोपीय संसद की 14 जनवरी, 1999 की "Committee on the Environment, Public Health and Consumer Protection" की रिपोर्ट, जिसे संकल्प के प्रस्ताव के तौर पर पेश किया गया था तथा जिसकी क्रमांक संख्या : A4-0005/99 है, के कुछ अंश इस प्रकार हैं :-

30. Calls in particular for an international convention for a global ban on all research and development, whether military or civilian, which seeks to apply knowledge of the chemical, electrical, sound vibration or other functioning of the human brain to the development of weapons which might enable any form of manipulation of human beings, including a ban on any actual or possible deployment of such systems;

इस रिपोर्ट में Non Lethal Weapons, HAARP, Chemical Weapons आदि विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की गयी है जिसे हर किसी को एक बार तो जरूर पढ़ना चाहिए। साथ ही अपने देश में भी इन विषयों पर चर्चा होनी चाहिए। 

इस रिपोर्ट को पढ़ने के लिए निम्नलिखित लिंक को क्लिक करें :-



धन्यवाद। 

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