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सोमवार, दिसंबर 09, 2019

गैंग स्टाल्कर्स और टारगेटेड इंडिविजुअल्स (6)

(नोट - इस लेख मे आपको ज्यादा लिंक्स नहीं दिए जा रहे हैं। इंटरनेट पर गैंग स्टाल्कर्स और टारगेटेड इंडिविजुअल्स के बारे में कई लेख पढ़ कर जो कुछ भी मुझे समझ आया है, उन्हीं विचारों को मैं यहां अपने शब्दों में लिखने की कोशिश कर रहा हूं। इसलिए इस लेख पर भरोसा करना या न करना आपकी मर्जी पर निर्भर करता है। )

Gang Stalkers

गैंग स्टाल्कर्स हर युग में किसी न किसी रूप में मौजूद रहे हैं। रंग-भेद व नस्ल-भेद (Apartheid and Racism) एक तरह से संगठित अपराध की मानसिकता ही तो थी जो कि आज भी कभी-कभार देखने को मिल जाता है। क्या जातिवाद और अस्पृश्यता (Untouchability) भी समूह में अपराध करने की सोच नहीं थी/है? क्या पुरातन काल में राक्षस भी गिरोह में ऋषियों और आम लोगों को परेशान नहीं किया करते थे? और क्या ड्रग्स अथवा नशे की लत डालने वाले शैतान भी संगठित अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं? 

वर्त्तमान समय में भी संगठित अपराध के कई प्रकार मौजूद हैं मगर इस लेख में मानसिक उत्पीड़न करने के अलावा अदृश्य हथियार व विज्ञान का दुरुपयोग करने वाले गैंग स्टाल्कर्स पर ही विचार किया गया है। "गैंग स्टाल्कर्स" का मतलब है "गिरोह में निशाना बनाने वाले।" इस गिरोह को संगठित अपराध करने वाला गिरोह भी कहा जा सकता है। इनके शिकार करने का तरीका ठीक वैसा ही होता है जैसा कि जंगल में लकड़बग्घे (Hyena) अपना शिकार करते हैं। ये गिरोह जिन लोगों को अपना निशाना बनाते हैं, उनके लिए "टारगेटेड इंडिविजुअल्स" (Targeted Individuals) शब्द का इस्तेमाल होने लगा है जिसका अर्थ है "शिकार या प्रताड़ित व्यक्ति।"

ये गैंग स्टाल्कर्स बहुत ही ज्यादा शातिर और धूर्त होते हैं और इनके कार्य करने का तरीका भी बहुत ही भयानक और क्रूर होता है। यह अपने शिकार पर 24x7x365 दिन तथा सालों-साल नजर रखते हैं और उन्हें परेशान (Disturbed) रखते हैं। ये गिरोह अपने शिकार की हत्या भी सीधे नहीं करते बल्कि धीरे-धीरे उन्हें बीमार करके मारते हैं। असल में इन्हें पर पीड़ा का सुख पाने की बीमारी होती है। इस गिरोह में हर उम्र और वर्ग के लोग शामिल होते हैं अथवा उनका बरगला कर इस्तेमाल होता है। इसलिए इनके कार्यों को "घरेलू आतंकवाद" (Domestic Terrorism) भी कहा जाता है अर्थात इस तरह के आतंकवाद में किसी विदेशी शक्ति का हाथ नहीं होता है। इसके अलावा आतंकवाद के साथ 'घरेलू' शब्द शायद इसलिए जोड़ा गया है क्योंकि गैंग स्टाल्कर्स 'घरेलू हिंसा' के तर्ज पर अपने शिकार को उसी के घर के अंदर सबसे ज्यादा निशाना बनाते हैं। आप शायद यह जानकर हैरान रह जाएं कि पीड़ित व्यक्ति को सोते वक्त भी अदृश्य हथियारों से निशाना बनाया जाता है, जब वह अपना बचाव करने की स्थिति में नहीं होता है!

गैंग स्टाल्कर्स  के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप निम्नलिखित लेख क्लिक करके पढ़ सकते हैं :-

Who Gets Targeted

गैंग स्टाल्कर्स किसी व्यक्ति का शिकार क्यों करते हैं यह तो कई बार शिकार व्यक्ति को भी पता नहीं होता है। ऐसा कहा जाता है कि यह सिर्फ मजे के लिए भी किसी व्यक्ति या परिवार की जिंदगी बर्बाद करते हैं मगर इनका असली मकसद प्रॉपर्टी हड़पना, किसी केस को एकतरफा बनाना, किसी की नौकरी हथिया कर अपने किसी खास को नौकरी दिलाना, किसी का मुंह बंद करना, हत्या, ब्लैकमेल आदि होता है। मगर लोगों को टारगेट बनाने के पीछे इनका एक बेहद खतरनाक मकसद भी छिपा होता है, और वह मकसद है नई टेक्नोलॉजी तथा विज्ञान के दुरुपयोग पर आधारित हथियारों को लोगों के ऊपर अवैध टेस्ट करना तथा इन नए किस्म के "जैविक हैकिंग"(Biological Hacking) को बेहतर बनाना! (नोट :- यह हथियार "जैविक हैकिंग या हथियार" कैसे है, इस पर आने वाले लेख में चर्चा की जाएगी)

शिकार व्यक्ति को क्या-क्या परेशानी आती है, उस बारे में जानने के लिए आपको निम्नलिखित लिंक (जो कि Change.org की एक ऑनलाइन याचिका का लिंक है) को क्लिक करके पढ़ना होगा, जहां पर पीड़ितों के लक्षण विस्तार से बताए गए हैं :-

► Stop people from using psychotronic weapons

(नोट:- इंटरनेट पर गैंग स्टाल्कर्स तथा टारगेटेड इंडिविजुअल्स पर बहुत से भ्रामक लेख मौजूद हैं तथा कुछ तत्व  तो जानबूझकर इंटरनेट पर गलत जानकारी डालते हैं। यहां तक कि पीड़ित व्यक्ति भी सही जानकारी के अभाव में गलत जानकारी डाल देते हैं जिसमें कि उनकी पीड़ा और तकलीफ तो सही होती है मगर कारण पूरी तरह तर्कसंगत नहीं होते हैं। इसलिए इंटरनेट पर इस तरह के विषयों के बारे में पढ़ते समय आप बहुत सावधानी बरतें। मैंने अपने ब्लॉग पर बहुत सावधानीपूर्वक लिंक्स डाले हैं मगर मैं आप से निवेदन करता हूं कि आप इन लिंक्स को स्वयं पढ़कर देखें और तय करें कि ये विश्वास करने योग्य हैं कि नहीं।)

Why is it difficult to stop Gang Stalkers

गैंग स्टाल्कर्स बहुत ताकतवर गिरोह है। अगर किसी को पता भी चल जाए कि यह कौन लोग हैं तो भी इनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। बहुत बार तो इस तरह के अपराध को रोकने वाले लोग ही इस तरह के अपराधों को अंजाम देते हैं। 

भारत में स्टॉल्किंग के लिए 2013 में Criminal Law (Amendment) Act द्वारा Section 354D जोड़ी गई थी, जिसकी व्याख्या इस प्रकार है :-

(1) Any man who—

(i) follows a woman and contacts, or attempts to contact such woman to foster personal interaction repeatedly despite a clear indication of disinterest by such woman; or

(ii) monitors the use by a woman of the internet, email or any other form of electronic communication,commits the offence of stalking;

Provided that such conduct shall not amount to stalking if the man who pursued it proves that—

(i) it was pursued for the purpose of preventing or detecting crime and the man accused of stalking had been entrusted with the responsibility of prevention and detection of crime by the State; or

(ii) it was pursued under any law or to comply with any condition or requirement imposed by any person under any law; or

(iii) in the particular circumstances such conduct was reasonable and justified.

(2) Whoever commits the offence of stalking shall be punished on first conviction with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, and shall also be liable to fine; and be punished on a second or subsequent conviction, with imprisonment of either description for a term which may extend to five years, and shall also be liable to fine.

उपरोक्त धारा 354D के बारे में आप इंटरनेट पर सर्च कर सकते हैं। ये धारा सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा के लिए है। मगर जिस गैंग स्टॉल्किंग की यहां चर्चा हो रही है, उसमें पुरुष भी शिकार होते हैं तथा उनके द्वारा जिस प्रकार के अदृश्य हथियारों का इस्तेमाल होता है, उससे पुरुष और महिला दोनों ही सुरक्षित नहीं हैं। 

असल में अदृश्य हथियारों से किए जाने वाले अपराधों को रोकने के लिए भारत में (तथा संभवतः विश्व में) कोई कानून बना ही नहीं है। उदहारण के लिए उपरोक्त लिंक "Stop people from using psychotronic weapons" में जाकर देखिए, उसमें पीड़ितों जो परेशानी भुगतते हैं, उस लिस्ट में एक शब्द है "Electronic Rape"। इस शब्द में क्या गड़बड़ी है, इस शब्द का क्या अर्थ है तथा यह किस प्रकार से अदृश्य तरीके से संभव है इस बारे में आने वाले लेख पर चर्चा की जाएगी। 

Why it is difficult to stop Gang Stalkers

गैंग स्टाल्कर्स को रोकना क्यों मुश्किल है, इस बारे में निम्नलिखित कुछ कारण हो सकते हैं :- 

1. गैंग स्टाल्कर्स न सिर्फ खुद गिरोह में लोगों को टारगेट बनाते हैं, बल्कि आम लोगों के द्वारा भी पीड़ित व्यक्ति को परेशान करवाते हैं। जिस प्रकार फिल्म "मालामाल वीकली" में  मृत व्यक्ति की लॉटरी की रकम को प्राप्त करने के लिए लगभग पूरा गांव पार्टनर बन जाता है, ठीक इसी प्रकार से गैंग स्टाल्कर्स भी साम, दाम, दंड, भेद, छल, कपट, लालच, ईर्ष्या, नफरत आदि हथकंडों से बहुत से मासूम लोगों को बरगलाकर इस प्रकार का अपराध करवाते हैं। मालामाल वीकली में तो सारा गांव मालामाल हो जाता है मगर असल जिंदगी में ठगी व धोखाधड़ी द्वारा लोगों को बेवकूफ बनाकर उनसे मुफ्त में अथवा बहुत कम खर्च में यह घृणित अपराध कराया जाता है। ऐसे में गैंग स्टाल्कर्स को पहचानना बहुत कठिन हो जाता है।

2. शिकार व्यक्तियों को अक्सर मानसिक रूप से परेशान बता दिया जाता है, जिससे लोग पीड़ित व्यक्ति की बातों को गंभीरता से नहीं लेते तथा गैंग स्टाल्कर्स मनचाहे ढंग से पीड़ित व्यक्ति अथवा परिवार को परेशान करते हैं। 

3. गैंग स्टाल्कर्स जिस तरह के अदृश्य हथियार जैसे कि ध्वनिक हथियार, विद्युतचुम्बकीय हथियार का उपयोग करते हैं, उस बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती। इसके अलावा कुछ हथियार तो दीवार के आर-पार जाकर भी निशाना बना सकते हैं।  इसलिए इस तथाकथित भूत गिरोह (Ghost Gang) के बारे में कुछ भी पक्के तौर पर कहना मुश्किल हो जाता है।

4. गैंग स्टाल्कर्स "व्यक्ति आधारित विज्ञापन" (Personalized Advertisement) के तर्ज पर "व्यक्ति आधारित उत्पीड़न" (Personalized Harassment) करते हैं :-

► व्यक्ति आधारित विज्ञापन :- इस तरह के विज्ञापन के लिए लोगों द्वारा इंटरनेट या मोबाइल एप्प में किए गए इस्तेमाल के आधार पर उन्हें विज्ञापन दिया जाता है। जैसे किसी ने नए मोबाइल के लिए इंटरनेट सर्च किया तो उसी समय उसे मोबाइल या लोन के विज्ञापन आने लगते हैं। इस अनोखे तरीके में लोगों की पर्सनल जानकारियों को तथाकथित विज्ञापन कंपनियों को बेचा जाता है। यहां तक कि लोगों द्वारा ईमेल में की गई गतिविधियों के आधार पर भी उन्हें व्यक्ति आधारित विज्ञापन दिया जाता है।

► व्यक्ति आधारित उत्पीड़न:- गैंग स्टाल्कर्स शिकार व्यक्ति के ऊपर चौबीसों घंटे लगातार निगरानी रखते हैं, फोन टेप करते हैं और उनका डाटा बेस बनाते हैं। उसी डाटा बेस के आधार पर शिकार व्यक्ति को परेशान किया जाता है। उदहारण के लिए किसी को आर्थिक तंगी है तो उसका और अधिक आर्थिक नुकसान कराया जाता है। गैंग स्टाल्कर्स शिकार व्यक्ति को सालों साल परेशान रख सकते हैं, इसलिए उससे सम्बंधित डाटा बेस बढ़ता जाता है। इसके अलावा जिस प्रकार व्यक्ति आधारित विज्ञापन भी बीच-बीच में अपनी मर्जी से ही विज्ञापन दिखाते हैं उसी प्रकार से गैंग स्टाल्कर्स भी पीड़ित व्यक्ति को किसी खास आवाज, वस्तु अथवा व्यक्ति से चिढ़ा कर या परेशान करके उस तरीके को भी डाटा बेस में जोड़ते जाते हैं।

ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को लोगों के सामने भी परेशान किया जाए तो भी किसी को पता नहीं लग सकता है। लोगों को सिर्फ उस व्यक्ति का बेवजह परेशान होना दिखता है, परेशानी की वजह नहीं दिखती! इस कारण से पीड़ित व्यक्ति लोगों को कुछ बताने की कोशिश भी करे तो भी किसी को यकीन नहीं होता है। 

इसलिए इस गिरोह के बारे में जानने से अच्छा है कि वे लोगों को निशाना बनाने के लिए जिन तरीकों तथा वैज्ञानिक हथियारों का दुरुपयोग करते हैं, उन तरीकों व हथियारों के बारे में जानकारी प्राप्त करके उसे रोकने का उपाय खोजा जाए। इनको रोका जाना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह सिर्फ कुछ शिकार या पीड़ित व्यक्तियों की बात नहीं है बल्कि इस तरह के गिरोह से पूरी मानवता को खतरा है।

How to stop Gang Stalking?

गैंग स्टाल्कर्स को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं :-

1. लोगों में इस विषय के प्रति जागरुकता लाकर इस समस्या का हल निकल सकता है। एकता में बहुत शक्ति है। लोगों संगठित होंगे तो सरकार को भी ऐसे अपराधों के लिए कानून बनाना पड़ेगा और विज्ञान और टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग को अवैध घोषित करना पड़ेगा।

2. अपने घरों में सीसीटीवी लगाएं।

3. सोशल मीडिया पर अपने परिवार की जानकारी न डालें तथा बच्चों को भी सोशल मीडिया से दूर रखें। मोबाइल का इस्तेमाल भी बहुत सावधानी से करें। यूरोपीय संघ ने अपने नागरिकों की डाटा संरक्षण व निजता की सुरक्षा के लिए 25 मई, 2018 से जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (General Data Protection Regulation, European Union) लागू किया है। भारत में डाटा प्रोटेक्शन बिल,2018 पर अभी संसद में विचार होना है। यह कानून लागू हो भी जाए तब भी आप सोशल मीडिया पर निजी जानकारियों को शेयर करने से परहेज करें।

4. गैंग स्टाल्कर्स का असली हथियार तो टेक्नोलॉजी और विज्ञान का दुरुपयोग है। अर्थात विज्ञान और टेक्नोलॉजी से ही इस समस्या का हल भी प्राप्त हो सकता है। दुनिया में ऐसे बहुत से वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर व अन्य टेक्निकल एक्सपर्ट या शौकिया जानकार होंगे जो इस समस्या का तोड़ निकाल सकते हैं। ऐसे लोगों को इस बारे में सोचना चाहिए तथा कुछ न कुछ हल निकलना चाहिए।

5. बच्चों में विज्ञान के प्रति रूचि डालिए। आने वाले समय में विज्ञान से जुड़े लोग ही इस समस्या का हल निकालेंगे।

धन्यवाद। 

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